परमाणु बम: एक विस्तृत अध्ययन | Atomic Bomb: A Detailed Study
परिचय
परमाणु बम, जिसे नाभिकीय हथियार या एटम बम भी कहा जाता है, एक ऐसा विस्फोटक उपकरण है जो अपनी विनाशकारी शक्ति नाभिकीय अभिक्रियाओं—या तो विखंडन (fission) या विखंडन और संलयन (fusion) के संयोजन—से प्राप्त करता है। यह हथियार अपेक्षाकृत कम मात्रा में पदार्थ से भारी मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न करता है, जो इसे विश्व के सबसे घातक हथियारों में से एक बनाता है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1945 में जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर इसके उपयोग ने मानव इतिहास में एक भयावह अध्याय जोड़ा। इस लेख में हम परमाणु बम के इतिहास, कार्यप्रणाली, प्रभाव, और वैश्विक परिदृश्य पर इसके प्रभाव को विस्तार से समझेंगे।
परमाणु बम की कार्यप्रणाली
परमाणु बम दो मुख्य प्रकार की नाभिकीय अभिक्रियाओं पर आधारित होता है: नाभिकीय विखंडन (Nuclear Fission) और नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion)।
1. नाभिकीय विखंडन (Fission)
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प्रक्रिया: परमाणु बम में यूरेनियम-235 (U-235) या प्लूटोनियम-239 (Pu-239) जैसे भारी तत्वों का उपयोग किया जाता है। जब एक न्यूट्रॉन इन तत्वों के नाभिक से टकराता है, तो नाभिक दो छोटे हिस्सों में टूट जाता है। इस प्रक्रिया में भारी मात्रा में ऊर्जा, गामा किरणें, और अतिरिक्त न्यूट्रॉन निकलते हैं।
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शृंखला अभिक्रिया (Chain Reaction): निकले हुए न्यूट्रॉन अन्य नाभिकों से टकराकर और विखंडन शुरू करते हैं, जिससे एक अनियंत्रित शृंखला अभिक्रिया शुरू होती है। यह प्रक्रिया अत्यंत तीव्र गति से होती है, जिसके परिणामस्वरूप एक विशाल विस्फोट होता है।
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क्रांतिक संहति (Critical Mass): शृंखला अभिक्रिया शुरू करने के लिए विखंडनीय पदार्थ की न्यूनतम मात्रा आवश्यक होती है, जिसे क्रांतिक संहति कहते हैं। यदि यह मात्रा कम हो, तो शृंखला अभिक्रिया शुरू नहीं होगी।
2. नाभिकीय संलयन (Fusion)
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प्रक्रिया: संलयन आधारित हथियार, जिन्हें हाइड्रोजन बम या थर्मोन्यूक्लियर बम भी कहते हैं, हाइड्रोजन के समस्थानिकों (ड्यूटीरियम और ट्राइटियम) को अत्यधिक ताप और दबाव पर संलयित करके ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। यह प्रक्रिया सूर्य और तारों में होने वाली ऊर्जा उत्पादन की प्रक्रिया के समान है।
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दो-चरणीय प्रक्रिया: हाइड्रोजन बम में पहले एक विखंडन बम विस्फोट करता है, जो संलयन के लिए आवश्यक ताप और दबाव उत्पन्न करता है। इसके बाद संलयन अभिक्रिया शुरू होती है, जो विखंडन की तुलना में कई गुना अधिक ऊर्जा उत्पन्न करती है।
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शक्ति: हाइड्रोजन बम की विस्फोटक शक्ति विखंडन बम से कहीं अधिक होती है। उदाहरण के लिए, 1961 में सोवियत संघ द्वारा परीक्षित “ज़ार बोम्बा” 50 मेगाटन टीएनटी के बराबर था, जो हिरोशिमा बम से हजारों गुना शक्तिशाली था।
परमाणु बम का इतिहास
प्रारंभिक विकास
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1930 का दशक: परमाणु बम का विचार 1933 में लियो स्ज़िलार्ड के दिमाग में आया, जब उन्होंने नाभिकीय शृंखला अभिक्रिया की संभावना पर विचार किया।
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मैनहट्टन प्रोजेक्ट: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, 1941 में अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन रूजवेल्ट ने परमाणु बम बनाने के लिए मैनहट्टन प्रोजेक्ट को मंजूरी दी। इस परियोजना का नेतृत्व भौतिक वैज्ञानिक जे. रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने किया।
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पहला परीक्षण: 16 जुलाई 1945 को न्यू मैक्सिको के अलमोगोर्डो में “ट्रिनिटी” नामक पहले परमाणु बम का सफल परीक्षण किया गया। इस विस्फोट की शक्ति 21 किलोटन टीएनटी के बराबर थी।
हिरोशिमा और नागासाकी
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हिरोशिमा (6 अगस्त 1945): अमेरिका ने “लिटिल बॉय” नामक यूरेनियम आधारित बम हिरोशिमा पर गिराया, जिसकी शक्ति 15 किलोटन टीएनटी थी। इससे लगभग 1,40,000 लोग मारे गए।
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नागासाकी (9 अगस्त 1945): “फैट मैन” नामक प्लूटोनियम आधारित बम नागासाकी पर गिराया गया, जिसकी शक्ति 21 किलोटन थी। इससे लगभग 74,000 लोग मारे गए।
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परिणाम: इन हमलों से न केवल तात्कालिक विनाश हुआ, बल्कि विकिरण के कारण हजारों लोग बाद में बीमारियों से पीड़ित हुए।
शीत युद्ध और हाइड्रोजन बम
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शीत युद्ध: 1949 में सोवियत संघ ने अपना पहला परमाणु बम परीक्षण किया, जिसके बाद अमेरिका और सोवियत संघ के बीच हथियारों की होड़ शुरू हुई।
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हाइड्रोजन बम: 1952 में अमेरिका ने पहला हाइड्रोजन बम “आइवी माइक” परीक्षित किया, जिसके बाद 1961 में सोवियत संघ ने “ज़ार बोम्बा” का परीक्षण किया।
भारत और परमाणु बम
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होमी जहांगीर भाभा: भारत के परमाणु कार्यक्रम के जनक होमी भाभा ने 1961 में दावा किया था कि भारत एक साल में परमाणु बम बना सकता है।
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स्माइलिंग बुद्धा: 18 मई 1974 को भारत ने राजस्थान के पोखरण में अपना पहला परमाणु परीक्षण “स्माइलिंग बुद्धा” किया, जिसका नेतृत्व राजा रमन्ना ने किया।
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पोखरण-II: 1998 में भारत ने पांच परमाणु परीक्षण किए, जिसके बाद भारत को परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र घोषित किया गया।
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वर्तमान स्थिति: अनुमान है कि भारत के पास 130-140 परमाणु हथियार हैं।
परमाणु बम के प्रभाव
परमाणु विस्फोट के प्रभाव कई प्रकार के होते हैं:
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विस्फोटक प्रभाव: विस्फोट से उत्पन्न शॉकवेव इमारतों, बुनियादी ढांचों और जीवों को नष्ट कर देती है।
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तापीय प्रभाव: विस्फोट से उत्पन्न ताप (लाखों डिग्री सेल्सियस) आग और जलन का कारण बनता है।
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विकिरण प्रभाव: गामा किरणें और न्यूट्रॉन विकिरण तीव्र रेडिएशन बीमारी (acute radiation syndrome) का कारण बनते हैं।
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नाभिकीय अवपात (Fallout): विस्फोट के बाद रेडियोएक्टिव कण हवा में फैलते हैं, जो लंबे समय तक पर्यावरण और स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।
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विद्युत चुम्बकीय पल्स (EMP): यह इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को नष्ट कर सकता है।
वैश्विक परिदृश्य
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परमाणु शक्ति संपन्न देश: वर्तमान में अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन, भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया, और इजरायल (अघोषित) के पास परमाणु हथियार हैं।
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परमाणु हथियारों की संख्या: विश्व में लगभग 13,865 परमाणु हथियार हैं, जिनमें रूस (6,500) और अमेरिका (6,185) सबसे अधिक हैं।
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परमाणु अप्रसार संधि (NPT): यह संधि परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने के लिए बनाई गई, लेकिन भारत, पाकिस्तान, और इजरायल ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किए।
नैतिक और मानवीय प्रश्न
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ओपेनहाइमर का पश्चाताप: परमाणु बम के जनक जे. रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने हिरोशिमा-नागासाकी के बाद भगवद गीता के श्लोक “अब मैं मृत्यु बन गया हूं, विश्व का विनाशक” का उल्लेख किया। वे अपने आविष्कार के मानवीय प्रभावों से आहत थे।
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विनाश की आशंका: परमाणु युद्ध की स्थिति में परस्पर विनाश (Mutual Assured Destruction, MAD) की अवधारणा विश्व को संपूर्ण विनाश की ओर ले जा सकती है।
निष्कर्ष
परमाणु बम मानव इतिहास की सबसे विनाशकारी खोजों में से एक है। इसकी तकनीकी जटिलता और विनाशकारी शक्ति इसे एक दोधारी तलवार बनाती है—एक ओर यह राष्ट्रीय सुरक्षा का प्रतीक है, तो दूसरी ओर मानवता के लिए खतरा। वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए परमाणु हथियारों का अप्रसार, निरस्त्रीकरण, और जिम्मेदार उपयोग आवश्यक है। भारत जैसे देशों के लिए, परमाणु शक्ति रक्षा के साथ-साथ वैज्ञानिक प्रगति का प्रतीक है, लेकिन इसका उपयोग सदा संयम और नैतिकता के साथ होना चाहिए।